गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019
प्लास्टिक का अंत
कोशिशें खुद से खुद को मनाने की
कोशिशें खुद से खुद को जताने की
कोशिशें पस्त मत होने देना
खुद से खुद को यकीं दिलाने की ,
बहुत सी बातें बाकी हैं
खुद से खुद को परिचित कराने की.
हैरान मत होना
देखकर अपने अंदर
कुछ अपरिचित सा
कुछ अनजाना सा
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी
खुद से खुद को परिचित कराने की
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी
अपने देश को स्वच्छ बनाने की
जब तक न होगा प्लास्टिक का अंत
देश का पर्यावरण न होगा सुरक्षित
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी
खुद से खुद को परिचित कराने की.
शनिवार, 17 अगस्त 2019
कुछ पल अपने लिए
खुद को भी कभी
महसूस कर लिया करो...!
कुछ रौनकें
खुद से भी होती हैं...!
सुन लिया करो
खुद को भी कभी
खुशी की धुन
उसमें भी होती है.....!
अपने लिए भी कभी
कुछ पल निकाला करो
तुम्हारी खुशी पर भी
कुछ विशेष निर्भर करते हैं
उनकी ख़ुशी के लिए ही
जी लिया करो ,
खुद की खुशी भी
जरूरी होती है....!
माना परिवार सर्वोपरि होता है ,
परिवार की खुशी के लिए
खुद भी चमका करो
परिवार की चमक
तुमसे ही होती है...!
चीनी सी मिठास
मुस्कान में शामिल करो
मुस्कान में मिठास
तुमसे ही होती है..!
महसूस कर लिया करो...!
कुछ रौनकें
खुद से भी होती हैं...!
सुन लिया करो
खुद को भी कभी
खुशी की धुन
उसमें भी होती है.....!
अपने लिए भी कभी
कुछ पल निकाला करो
तुम्हारी खुशी पर भी
कुछ विशेष निर्भर करते हैं
उनकी ख़ुशी के लिए ही
जी लिया करो ,
खुद की खुशी भी
जरूरी होती है....!
माना परिवार सर्वोपरि होता है ,
परिवार की खुशी के लिए
खुद भी चमका करो
परिवार की चमक
तुमसे ही होती है...!
चीनी सी मिठास
मुस्कान में शामिल करो
मुस्कान में मिठास
तुमसे ही होती है..!
गुरुवार, 1 अगस्त 2019
रक्षा दिवस, 15.अगस्त
त्योहारों का महीना है
खुशियों का सवेरा है
गंगा का पावन मेला है,
मन मौजी हुआ जाये
मन मौजी हुआ जाये .
देश का खज़ाना है
त्योहारों का बोलबाला है
किसी ने किया
रक्षा का वादा है
स्वतंत्रता दिवस मनाने का
बड़ा मनोरम राष्ट्र वादा है.
यह है देश जहाँ
गंगा की पावन धारा में
ऋषियों की गाथा है
कृष्ण की लीला है
राधा की अराधना है
तभी तो यह देश निराला है
त्योहारों का बोलबाला है
मन मौजी हुआ जाए
मन मौजी हुआ जाए.
💐💐अरुणा कालिया
खुशियों का सवेरा है
गंगा का पावन मेला है,
मन मौजी हुआ जाये
मन मौजी हुआ जाये .
देश का खज़ाना है
त्योहारों का बोलबाला है
किसी ने किया
रक्षा का वादा है
स्वतंत्रता दिवस मनाने का
बड़ा मनोरम राष्ट्र वादा है.
यह है देश जहाँ
गंगा की पावन धारा में
ऋषियों की गाथा है
कृष्ण की लीला है
राधा की अराधना है
तभी तो यह देश निराला है
त्योहारों का बोलबाला है
मन मौजी हुआ जाए
मन मौजी हुआ जाए.
💐💐अरुणा कालिया
रविवार, 14 जुलाई 2019
स्वस्थ रहो ,विकास शील रहो
यदि विकास चाहिए,स्वयं को स्वस्थ रखो.बीमार व्यक्ति लक्ष्य से पचास प्रतिशत पीछे रह जाता है.
चैतन्य रहो स्वस्थ रहो.
💐💐💐💐💐
जीवन जीना और उसे कलात्मक रूप से जीना दो अलग बातें हैं.कलात्मकता मानव से जुड़ी है, जीते तो जानवर भी हैं.
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
नियम तोड़ने वाला सज़ा तो हर हाल में पाता है प्रकृति का यही नियम है.
😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇
चाहते ,हिदायतें, नलीहतें, नफरतें सब लौकिक बातें हैं, इनमें हार्दिक सुख कहाँ! हार्दिक सुख तो अलौकिकता में मिलता है.
💐💐💐💐💐💐💐
चाहते ,हिदायतें, नसीहतें, नफरतें सब लौकिक बातें हैं, इनमें हार्दिक सुख कहाँ! हार्दिक सुख तो अलौकिकता में मिलता है.
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
चाहतों की पूर्ति होने पर भी हार्दिक खुशी नहीं मिलती, अधूरा सा ,कुछ अछूता सा फिर भी रह जाता है .
👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
चाहतें भी बड़ी बेदिल होती हैं ,कैसे-कैसे इम्तहान लेती है.
बेबसी कैसी बेबाक़,चाह कर भी अपनों के लिए वह नहीं कर पाते जो दिल में अरमान लिए जीते हैं, कभी परिस्थिति-वश, कभी दिल-वश .
--अरुणा कालिया
चैतन्य रहो स्वस्थ रहो.
💐💐💐💐💐
जीवन जीना और उसे कलात्मक रूप से जीना दो अलग बातें हैं.कलात्मकता मानव से जुड़ी है, जीते तो जानवर भी हैं.
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
नियम तोड़ने वाला सज़ा तो हर हाल में पाता है प्रकृति का यही नियम है.
😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇
चाहते ,हिदायतें, नलीहतें, नफरतें सब लौकिक बातें हैं, इनमें हार्दिक सुख कहाँ! हार्दिक सुख तो अलौकिकता में मिलता है.
💐💐💐💐💐💐💐
चाहते ,हिदायतें, नसीहतें, नफरतें सब लौकिक बातें हैं, इनमें हार्दिक सुख कहाँ! हार्दिक सुख तो अलौकिकता में मिलता है.
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
चाहतों की पूर्ति होने पर भी हार्दिक खुशी नहीं मिलती, अधूरा सा ,कुछ अछूता सा फिर भी रह जाता है .
👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
चाहतें भी बड़ी बेदिल होती हैं ,कैसे-कैसे इम्तहान लेती है.
बेबसी कैसी बेबाक़,चाह कर भी अपनों के लिए वह नहीं कर पाते जो दिल में अरमान लिए जीते हैं, कभी परिस्थिति-वश, कभी दिल-वश .
--अरुणा कालिया
शनिवार, 13 जुलाई 2019
मेरे भारत की संस्कृति
जहाँ भी है भारत की संस्कृति
वहाँ है भारत और मेरा अभिमान.
भारत नहीं एक सीमित स्थान
भारत अत्र तत्र सर्वत्र में पूरा जहान.
भारतीय व्यवहार जहाँ पहुँचे
पैग़ाम हिंदुस्तान का वहाँ पहुँचे .
मित्रता का संदेसा और
वसुधैवकुटुम्बकम् भाव लेकर
विश्व में सर्वोपरि होने दो.
स्वदेश के गद्दारों को प्रेम सिखाना बाक़ी है
प्रेम-रस को नस-नस में पहुँचाना बाक़ी है .
देश प्रेम न झलके जब तक
देश प्रेम का पाठ पढ़ाना बाक़ी है.
अरुणा कालिया
वहाँ है भारत और मेरा अभिमान.
भारत नहीं एक सीमित स्थान
भारत अत्र तत्र सर्वत्र में पूरा जहान.
भारतीय व्यवहार जहाँ पहुँचे
पैग़ाम हिंदुस्तान का वहाँ पहुँचे .
मित्रता का संदेसा और
वसुधैवकुटुम्बकम् भाव लेकर
विश्व में सर्वोपरि होने दो.
स्वदेश के गद्दारों को प्रेम सिखाना बाक़ी है
प्रेम-रस को नस-नस में पहुँचाना बाक़ी है .
देश प्रेम न झलके जब तक
देश प्रेम का पाठ पढ़ाना बाक़ी है.
अरुणा कालिया
शुक्रवार, 12 जुलाई 2019
नियम के विरुद्ध
नियम के विरुद्ध चलने वाले सज़ा तो हर हाल में पाते हैं,चाहे कोई कार्य ज़िंदगी से संबंधित हो या प्रकृति से संबंधित या फिर समाज या व्यवसाय से संबंधित हो. क्योंकि नियम बनाए ही जाते हैं प्राणियों की सुरक्षा के लिए. प्राणी मात्र की सुरक्षा में यदि यही नियम खतरा बन जाएँ तब विद्वज्जनों द्वारा इनमें संशोधन भी किया जाता है.
मानव तक तो बदलाव, परिवर्तन, संशोधन जायज़ हैं क्योंकि मानव तो गलतियों का पुतला है, परंतु यदि बात प्रकृति की करें तो वहाँ ग़लती की कोई गुंजाइश नहीं है. यहाँ तो मानव का हस्तक्षेप ही मानव के प्रति शत्रु का कार्य कर जाता है.
उदाहरण बेशुमार भरे पड़े हैं, सबसे बड़ा उदाहरण केदार आपदा ही है, --
"करो न छेड़ छाड़ प्रकृति से,
माँ की तरह पालन करती है,
यदि किया हस्तक्षेप इसके कार्य में,
पलट-वार में पल नहीं लेती,
पाँव से धरती खींच लेती है ".
एक बार फिर से --राम राज्य
लगता है राम राज्य आरम्भ हो गया है. हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी के कार्य काल के पाँच वर्ष पूरे होने के बाद अब एक बार फिर से सत्ता में आने के बाद यह विश्वास सा होने लगा है कि हाँ, सच है यह कोरी कल्पना नहीं है.
अब जनता ने तो अपना कार्य कर दिया है ,अब मोदी जी आपकी बारी है जनता के सच्चे भाग्यविधाता बनने की .
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