बुधवार, 29 अप्रैल 2020

पाठ-योजना सौ झीलें

कक्षा-छठवीं पाठ- सौ झीलें विधा-गद्य (कहानी) शिक्षण-उद्देश्य – ज्ञानात्मक- 1. विश्व बाल- साहित्य से परिचित कराना। 2. विदेश में भी अच्छाई करने पर पशु-पक्षियों द्वारा कृतज्ञ-स्वरूप अलौकिक वस्तुएं उपहार में देने की कथाएं प्रचलित हैं। 3. अच्छाई और उपकार करने का फल सदैव अच्छा ही होता है। 4. श्यामपट्ट पर कहानी का नाम स्पष्ट शब्दों में लिखना तथा लेखक का नाम भी बताना। 5. चीन के स्त्री-पुरुष तथा बच्चों का चित्र दिखपर वहां की वेश-भूषा की जानकारी देना । 6. बच्चों को यह समझाना कि भारत और विदोशी कहानियों की कथावस्तु में बहुत समानता है। 7. विदेशों में भी पशु-पक्षियों से प्रेम,बुराई पर अच्छाई की जीत की कहानियाँ विदेशों में भी प्रचलित हैं । बोधात्मक- 1. पाठ को एक ही अन्विति में पढ़ाया जाए। 2. आदर्श वाचन करते समय उच्चारण की दृष्टि से कठिन शब्दों को श्यामपट्ट पर लिखा जाना। 3. पाठ की विशेषताओं की सूची बनाना। 4. नए शब्दों को समझकर छात्रों के शब्द-भंडार में वृद्धि करना। 5. पाठ की विषय-वस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई कविता से संबद्ध करना । 6. छात्रों को पाठ के लेखक तथा उनकी अन्य रचनाओं के बारे में जानकारी देना। कौशलात्मक- 1. पाठ में प्रयुक्त भाषा-तत्वों एवं कठिन शब्दों के शुद्ध रूपों को पहचान कर छात्रों को उनके बारे में जानकारी देना। 2. साहित्य के गद्य विधा (कविता) की जानकारी देना । 3. प्राकृतिक सौंदर्य तथा प्रेम-भाव से परिचित कराना। 4. पाठ की प्रवाहमयी भाषा की जानकारी छात्रों को देना। 5. छात्रों को गति, यति और शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ पढ़ाना सिखाना । 6. पाठ के भावों के अनुरूप छात्रों को उचित आरोह-अवरोह के साथ पाठ का उच्च स्वर में वाचन कराना । 7. लेखक के उद्देश्य को स्पष्ट करना। 8. पाठ में वर्णित प्राकृतिक सौंदर्य पर प्रकाश डालना। प्रयोगात्मक- 1. पाठ के भाव को अपने दैनिक-जीवन के व्यवहार के संदर्भ के साथ जोड़कर देखना। 2. पाठ के केंद्रीय-भाव को अपने शब्दों में लिखना । 3. लेखक की रचनाओं की तुलना अन्य लेखकों की रचनाओं से करना । सामान्य-उद्देश्य- 1. छात्रों का विषय के प्रति रुचि उत्पन्न करना । 2. छात्रों के शब्द-भंडार में वृद्धि करना । 3. छात्रों में शुद्ध व स्पष्ट हिंदी पढ़ने का अभ्यास कराना । 4. छात्रों का हिंदी-भाषा के महत्व से परिचित कराना। 5. श्रुतलेख के द्वारा त्रुटियों में सुधार करवाना। विशिष्ट-उद्देश्य- 1. छात्र पशु-पक्षियों से प्रेम-भाव और सद्भाव रखें । 2. बुराई पर अच्छाई की जीत होतीहै,इस बात को जान सकें । 3. कहानी के भाव को स्पष्ट करना कि अच्छाई और उपकार का फल सदा अच्छा ही होता है। सहायक शिक्षण-सामग्री • श्वेत-वृंत्तिका,झाड़न,चित्र • स्त्री-पुरुष, और बच्चों के चित्र तथा उनकी वेशभूषा के चित्र आदि कक्षा में दिखाए जाएंगे । पूर्व ज्ञान- 1. दया, परोपकार, प्रत्युपकार,ममता के प्रति समर्पण की भावना जगाना । 2. माता-पुत्र का प्रेम जैसी जीत को धारण करने की सीख एवं प्रेरणा देना । 3. बुद्धिमानी से संकट से निकलना आदि की जानकारी देना। 4. लेखक के बारे में विस्तार से जानकारी देना। 5. पाठ के माध्यम से लेखक पाठक को क्या संदेश देना चाहते हैं,इसकी विस्तृत जानकारी देना। 6. सामाजिक व्यवहार से अवगत कराना। 7. पाठ में लेखक ने जिस भाषा का प्रयोग किया है,उसके कारण कहानी रोचक तथा प्रवाहमयी बन पड़ी है,इसकी जानकारी देना । 8. पाठ का रोचक होना अत्यंत आवश्यक है ताकि पाठक रुची से पढ़ सके । 9. मानवीय स्वभाव तथा आपसी तालमेल की जानकारी देना । 10. पशु-पक्षियों द्वारा कृतज्ञता स्वरूपअलौकिक वस्तुएं उपहार में देने की कथाएं प्रचलित हैं। 11. पिछली कक्षाओं में पढ़ी गयी परस्पर भाईचारे की कविताओं के विषय में पूछना । 12. पूर्व जानकारी की सभी बातों से छात्रों को पाठ समझने में सरलता का अनुभव होता है। प्रस्तावना-प्रश्न – • बच्चों! क्या आप हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकारों के विषय में जानते हैं? • मनुष्य की स्वभावगत विशेषताएं बताइए । • छात्रों से इस प्रकार के प्रश्नों को पूछा जाएगा । • पाठ से संबंधित मानवीय गुणों तथा जीवन मूल्यों की कक्षा में चर्चा की जाएगी । उद्देश्य-कथन- 1. भाईचारे और प्रेम को बढ़ाना 2. अज्ञान, बुराई तथा निराशा को दूर करने की भावना को जगाना । 3. आशा और विश्वास के साथ उन्नति-विकास की ओर बढ़ना । 4. दीन ,दलितों को ऊपर उठाना तथा विश्व शांति का संदेश देना । 5. हिंदी भाषा के माध्यम से छात्र ग्रामीण क्षेत्रों को भलिभाँति समझ सके । 6. रोचक कहानियों के माध्यम से छात्र ग्रामीण क्षेत्रों तथा शहरी क्षेत्रों के सामाजिक- -पर्यावरण को समझ सके। पाठ का सार- वेन पेंग नाम का एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था।उसकी माँ खेतों में काम करती थी ।वह मछलियाँ पकड़ता था ।एक दिन उसके जाल में एक सुंदर सुनहरी मछली फँसी ।मछली ने उससे कहा अपने ऊपर दया करके पानी में वापिस छ़ोड़ देने के लिए कहा और इसके बदले में उसे क मूलेयवान मोती देगी जिसकी विशेषता थी कि वह दिसके पास होगा उसे किसी चीज़की कमी नहीं होगी । वेन पेंग ने ऐसा ही किया ।अब वेन पेंग और उसकी माँ के पास कोई कमी नहीं थी ।वे सुख-चैन से रहने लगे। गाँव में सब उनसे ईर्ष्या करने लगे।वहाँ के ज़मीदार ने अपने बदमाशों को उनकी समृद्धि के रहस्य को जानने के लिए भेजा ,उनके द्वारा घर की तलाशी लेने पर उन्हें एक मोती मिला,मोती उठाते समय मोती ज़मीन पर गिर गया,ज़मीन पर गिरते ही वेन पेंग ने मोती मुंह में रख लिया और खा लिया। मोती खाते ही वेन पेंग के शरीर का आकार बदलने लगा।बदमाशों ने यह सब देखा तो वे डर गये और वहाँ से भाग गये । झोंपड़ी में उसे गर्मी लगने लगी और प्यास भी लगने लगी तो वेन पेंग नदी के किनारे पानी पीने पहुँचा तो अपनी परछांई देखकर उसे पता चला कि वह ड्रेगन बन गया है।माँ और बेटा दोनों रोने लगे।अब वेन पेंग को ड्रेगन देश जाना पड़ा।माँ से हिछुड़ने के दुख से वह रोने लगा ।कहते हैं जहां-जहां इसके आँसू गिरे वहाँ-वहां एक झील बन गयी ।इस नदी के आस-पास आज भी सैंकड़ों झीलें हैं। क्रमाँक अध्यापक-क्रिया छात्र-क्रिया 1 कविता का केन्द्रीय भाव छात्रों को समझाना और उसे प्रदूषण से बचाए रखने तथा सजीव प्राकृतिक सौंदर्य का तथा जंगली ज्ञान कराना। पाठ की आवश्यक जानकारी को अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखना। 2 शिक्षक द्वारा कविता का उच्च-स्वर में वाचन करना। कविता के गीत तथा लय की जानकारी देना। उच्चारण एवं पठन शैली को ध्यान से सुनना। 3 कविता का मूलभाव समझाना तथा सूक्ति-वाक्यों को प्रदान श्यामपट्ट पर लिखकर समझाना। पाठ से संबंधित अनेक जिज्ञासाओं का निराकरण करना । 4 पाठ के मुहावरों के प्रयोग से भाषा का सौंदर्य बढ़ाना समझाया जाना। छात्रों द्वारा पठन करना तथा अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखना। 5 कविता में आए कुछ शब्दों जैसे-मर्त्य,किरण-द्वार, मनुजता,दीप्ति,हृदय आदि का उच्चारण की दृष्टि से श्यामपट्ट पर लिखकर उनका शुद्ध उच्चारण करवाना कविता में दिए गए कुछ शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखना तथा उन्हें मुक्त-कंठ से कंठस्थ करना ।व्याकरण के कार्य को अभ्यास-पुस्तिका में लिखना। पाठ का उद्देश्य – • अज्ञान ,बुराई ,निराशा को दूर करने की भावना जगाना । • प्रेम और विश्वास के साथ उन्नति और विकास की ओर बढ़ना, दीन-दलितों को ऊपर उठाना। गृह-कार्य- • कविता को ऊँचे स्वर में पढ़ते हुए सही उच्चारण का अभ्यास करना । • पाठ के प्रश्नों का अभ्यास करना । • कविता का भाव समझकर संक्षेप में अपने सहपाठियों को सुनाना । • पाठ में आए कठिन शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करना । • त्रुटियों में सुधार करके अनेक बार अभ्यास कार्य देना । • मुसीबत आने पर आप घबरा जाते हैं अथवा साहस से उसका मुकाबला करते हैं । निरीक्षण-कार्य- • अध्यापिका बच्चों का श्यामपट्ट पर दिए गए कार्य का निरीक्षण करेंगे। तथा याद किये गए कार्य को सुनेंगे । • बच्चों से प्रश्न पूछें कि यदि कोई उनकी प्रिय वस्तु उनसे छीन ले तो उन्हें कैसा लगेगा। • दिए गए लिखित कार्य को जाँच करते हुए छात्र से पूछना कि पाठ के भाव को समझ लिया है।

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